कि वो छिंटता ही रहा
बाहर ही बाहर
अौर काँच की हरी बोतल में
मुझमें कुछ लिख कर,
दूर समुंदर में बहा दिया था
कभी तो वे पढ़ कर पहचान ही लेंगे तुमको ।
और शायद तुम्हें भी याद हो आए
कि वो तुम ही थे बंद उसके अंदर ।
The Partly Coherent Leaks from the Unconscious (from odd mornings and middle of the nights and dissociated moments)